उत्‍तराखंड के चार जिलों में रोड सेफ्टी ऑडिट, दुर्घटना संभावित स्थलों की होगी पड़ताल

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अल्मोड़ा जिले में हुई बस दुर्घटना के बाद परिवहन आयुक्त बृजेश कुमार संत के निर्देश पर देहरादून संभाग के चार जनपदों देहरादून, हरिद्वार, टिहरी एवं उत्तरकाशी में रोड सेफ्टी ऑडिट कराया जाएगा। बुधवार को इसके आदेश जारी करते हुए संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) शैलेश कुमार तिवारी ने बताया कि सभी क्षेत्रों के एआरटीओ इसके नोडल अधिकारी होंगे। 

परिवहन विभाग, पुलिस, राष्ट्रीय राजमार्ग खंड और लोक निर्माण विभाग की संयुक्त टीम इसमें शामिल होगी। इसमें सड़कों की स्थिति जांचने के साथ ही दुर्घटना संभावित स्थलों की पड़ताल की जाएगी। आरटीओ ने बताया कि 31 दिसंबर तक पड़ताल पूरी कर शासन को रिपोर्ट भेज दी जाएगी।

सभी जनपदों में रोड सेफ्टी ऑडिट कराने के निर्देश

बस दुर्घटना के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी जनपदों में रोड सेफ्टी ऑडिट कराने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में परिवहन आयुक्त ने चारों संभाग के परिवहन अधिकारियों को संबंधित क्षेत्रों का सेफ्टी ऑडिट कर रिपोर्ट देने को कहा है। बता दें कि, बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं और हताहतों की संख्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राष्ट्रीय स्तर पर सड़क सुरक्षा समिति गठित है। इस समिति के अंतर्गत सभी प्रदेशों में राज्य स्तरीय सड़क सुरक्षा परिषद व जिला सड़क सुरक्षा समिति काम करती हैं।

इनमें परिवहन विभाग, पुलिस और राष्ट्रीय राजमार्ग समेत लोक निर्माण विभाग की टीम शामिल है। खराब सड़कें, सड़कों पर गड्ढे, पर्वतीय क्षेत्रों में सड़क किनारे सुरक्षा दीवार व पैराफिट आदि के न होने के कारण लगातार वाहन दुर्घटनाएं हो रही हैं। इतना ही नहीं, सड़कों पर लेन मार्किंग न होने के कारण भी कई दुर्घटना हो चुकी हैं। इसके लिए यह निर्णय लिया गया है कि सड़कों का सेफ्टी ऑडिट किया जाएगा।

आरटीओ तिवारी ने बताया कि संयुक्त टीम ऐसे स्थानों का सर्वेक्षण करेगी, जहां मार्ग की दशा, सुरक्षा संबंधी उपाय के अभाव आदि के कारण दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है। ऐसे स्थान दुर्घटना संभावित स्थल के रूप में चिह्निकृत कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। संयुक्त टीम ऐसे स्थानों पर सुधार संबंधी सुझाव रिपोर्ट भी देगी।

इन बिंदुओं पर होगा सेफ्टी ऑडिट

  • सड़क की चौड़ाई निर्धारित मानक के अनुसार है या नहीं।
  • मार्ग का कितना हिस्सा संकरा मार्ग/बाटलनेक की श्रेणी में है।
  • भूस्खलन संभावित क्षेत्र कितना है।
  • मोड पर, 10 मीटर या अधिक गहरी खाई पर पैराफिट/क्रैश बैरियर व सुरक्षा के उपाय हैं या नहीं।
  • मार्ग पर संकेतक लगे हुए हैं या नहीं।
  • तीव्र ढलान पर समुचित संकेत व सुरक्षा उपाय हैं या नहीं।
  • मार्गों पर अनाधिकृत मीडियन तो नहीं है।
  • मार्ग किनारे बिजली व टेलीफोन के खंभे, पेड़ या होर्डिंग के कारण दुर्घटना की आशंका।
  • मार्ग पर पड़ने वाले रिहायशी क्षेत्रों में पर्याप्त पथ-प्रकाश व सुरक्षा उपाय हैं या नहीं।
  • रोड मार्किंग, डेलीनेटर, कैट आई, सेंटर लाइन, रोड साइन व स्पीड कामिंग मीजर्स हैं या नहीं।
  • मार्ग पर उचित साइन बोर्ड लगे हैं या नहीं।
  • तीव्र ढाल वाले पर्वतीय मार्ग कहां-कहां और कितने हैं।
  • अंधा मोड/तीव्र मोड, जिसके कारण सामने से आता हुआ वाहन न दिखता हो।

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