सुदूरवर्ती गांव घेस में चौपाल लगाकर डीएम ने सुनी ग्रामीणों की समस्याएं

0

 

*सुदूरवर्ती गांव घेस में चौपाल लगाकर डीएम ने सुनी ग्रामीणों की समस्याएं।*

 

*औषधीय जड़ी बूटियों एवं पर्यटन सुविधाओं को विकसित करने के दिए निर्देश।*

 

एक प्रसिद्ध कहावत है। ‘‘घेस जिसके आगे नही है कोई देश’’। जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने शुक्रवार को जनपद के सबसे दूरस्थ एवं सीमांत गांव घेस का भ्रमण करते हुए स्थानीय लोगों की समस्याएं सुनी। जिला मुख्यालय से करीब 145 किलोमीटर दूर त्रिशूल पर्वत की तलहटी में बसे देवाल ब्लाक के सीमांत गांव घेस पहुॅचने पर स्थानीय लोगों ने पारंपरिक बाद्य यन्त्रों एवं मांगलिक गीतों के साथ जिलाधिकारी का भव्य स्वागत किया।

 

*हर्बल गांव घेस में जड़ी बूटी उत्पादन को एक व्यावसायिक माडल के रूप में करें विकसित – डीएम*

 

जिलाधिकारी ने उच्च हिमालयी क्षेत्र घेस में औषधीय जड़ी बूटियों का उत्पादन बढाने के लिए तकनीक के साथ व्यावसायिक खेती का मॉडल विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि औषधीय जड़ी बूटियों की खेती से किसानों के साथ-साथ राज्य को भी आर्थिक लाभ होगा और बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। उन्होंने जडी बूटी उत्पादन और विपणन की सुविधाओं को सरल बनाने को लेकर गहनता से चर्चा करते हुए किसानों से सुझाव भी लिए। जिलाधिकारी ने कहा कि किसानों के पंजीकरण और उनकी उपज के विपणन हेतु परमिट प्रक्रिया को भी आसान और अनुकूल बनाने का प्रयास किया जाएगा। घेस गांव में जडी बूटी उत्पादन से जुडे किसानों के खेतों का निरीक्षण करते हुए जिलाधिकारी ने हर्बल गांव घेस को पर्यटन से भी जोडने की बात कही। जडी बूटियों के व्यवसाय से जुड़े लोगों ने कहा कि घेस में जडी बूटियों के लिए हर्बल, वाशिंग, ग्रेडिंग, ड्राईंग, पैकेजिंग और स्टोरिंग के लिए कामन फेसिलिटी सेंटर बनाने से किसानो को और अधिक फायदा मिलेगा।

 

गौरतलब है कि घेस गाँव में अब परंपरागत खेती के साथ ही जड़ी बूटियों की खेती भी की जाती है। ग्रामीण कुटकी, अतीस, मीठा, वनकरी, चोरु, अरचा, जटामांसी, बालछर, सतवा, चिरायता जैसी जड़ी बूटियों का उत्पादन कर रहे है। सबसे ज्यादा उत्पादन कुटकी का किया जा रहा है। जो 12 सौ रुपए किलो तक बिक रहा है। घेस को उत्तराखंड का हर्बल गांव भी कहा जाता है। परंपरागत खेती में ग्रामीण चौलाई, आलू, राजमा, ओगल, गेँहू, मंडुवा और झंगोरा भी उगाते है। ग्रामीण अब नगदी फसल मटर की भी खेती कर रहे है जिससे उनकी आमदनी में इजाफा हो रहा है। घेस गाँव तक सड़क है। यहां करीब 300 परिवार रहते है।

 

*घेस में है पर्यटन की अपार संभावनाएं- डीएम*

 

जिलाधिकारी ने कहा कि हर्बल गांव घेस घाटी अपनी नैसर्गिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। इस इलाके में पर्यटन की अपार संभावनाएं है। यहाँ से सुन्दर मखमली बगजी बुग्याल और घेस-नागाड-सौरीगाड ट्रैक भी है। उन्होंने स्थानीय लोगों को होम स्टे संचालन के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि अगले क्षेत्र भ्रमण के दौरान वो घेस गांव में होम स्टे में ही रुकेंगे। जिलाधिकारी ने पर्यटन अधिकारी को क्षेत्र में कैंप लगाकर लोगों को होम स्टे योजना से जोडने के निर्देश भी दिए। कहा कि इससे यहॉ आने वाले पर्यटकों को नैसर्गिक सौन्दर्य देखने के साथ स्थानीय व्यंजनों का स्वाद भी मिलेगा और लोगों की आजीविका बढेगी।

 

*घेस में चौपाल लगाकर डीएम ने सुनी समस्याएं*

 

जिलाधिकारी ने घेस में चौपाल लगा कर लोगों की समस्याएं सुनी। स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी के सम्मुख सडक़, बिजली, पानी, भूमि का मुआवजा ना मिलने, स्कूलों में शिक्षकों की कमी, बिजली के झूलते तारों की समस्या, क्षेत्र में 108 सेवा की व्यवस्था न होने, आंगनबाड़ी केन्द्र खोलने, एएनएम सेंटर में क्षतिग्रस्त दीवार की मरम्मत, विधवा पेंशन न मिलने, हिमनी में डाकघर न होने की समस्याएं रखी। जिस पर जिलाधिकारी ने संबधित अधिकारियों को प्राथमिकता पर समस्याओं का निराकरण करने के निर्देश दिए।

 

देवाल ब्लाक प्रमुख दर्शन दानू ने दूरस्थ क्षेत्र घेस गांव में लोगों की समस्याएं सुनने के लिए जिलाधिकारी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने हर्बल गांव घेस में पर्यटक आवास गृह एवं पंचायत घर निर्माण की मांग भी प्रमुखता से रखी।

 

ग्राम पंचायत घेस भ्रमण के दौरान देवाल ब्लाक प्रमुख दर्शन दानू, क्षेत्र पंचायत सदस्य रेखा घेसवाल, घेस के ग्राम प्रधान कलावती देवी, अन्य जनप्रतिनिधियों सहित डीएफओ सर्वेश कुमार दुबे, एडीएम रविन्द्र ज्वांठा, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ उमा रावत, परियोजना निदेशक आनंद सिंह, जड़ी बूटी शोध संस्थान के वैज्ञानिक सीपी कुनियाल, मुख्य उद्यान अधिकारी तेजपाल सिंह, मुख्य कृषि अधिकारी वीपी मौर्य, जिला पर्यटन विकास अधिकारी एसएस राणा, डीएसटीओ विनय जोशी, तहसीलदार प्रदीप नेगी, आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी एवं लोनिवि, पीएमजीएसवाई, जल संस्थान, जल निगम, विद्युत, सिंचाई आदि विभागों के अधिकारी मौजूद थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed