राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत विकास भवन सभागार में आयोजित गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम (पीसीपीएनडीटी) की प्रदेश स्तरीय कार्यशाला का आयोजन स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में आयोजित किया गया

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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत विकास भवन सभागार में आयोजित गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम (पीसीपीएनडीटी) की प्रदेश स्तरीय कार्यशाला का आयोजन स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इस दौरान मा. स्वास्थ्य मंत्री ने संतुलित लिंगानुपात के लिए 950 से कम लिंगानुपात संख्या वाले 05 जिलों में पीसीपीएनडीटी कार्यक्रम में विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने गिरते लिंगानुपात को सुधारने के लिए पीसीपीएनडीटी के अंतर्गत गठित समितियों में सक्रिय व महिला सदस्यों की भागीदारी बढाने के साथ-साथ जागरूकता गतिविधियों को बढाने के निर्देश भी दिए।

आयोजित कार्यशाला के दौरान मा. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 में लिंगानुपात के मामले में उत्तराखंड देश के खराब प्रदर्शन वाले राज्यों में शुमार था, खुशी की बात है कि आज राज्य सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन वाले टॉप 05 राज्यों में शामिल है। उन्होंने सबसे कम लिंगानुपात प्रदर्शन वाले पिथौरागढ, देहरादून, उत्तरकाशी, चंपावत व टिहरी में सुधार हेतु विशेष फोकस करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पीसीपीएनडीटी के अंतर्गत गठित होने वाली राज्य स्तरीय समितियों में समस्त महिला विधायकों व महिला सांसदों को सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा। जिला स्तर पर महिला पंचायत प्रतिनिधियों को पीसीपीएनडीटी के अंतर्गत गठित जिला स्तरीय समितियों में प्रभावी प्रतिधित्व दिया जाएगा। उन्होंने समस्त मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को जिला स्तरीय पीसीपीएनडी कमेटियों में दो वर्ष से अधिक पुराने व निष्क्रिय सदस्यों को हटाने, विधायक की उपस्थिति में प्रत्येक तीन माह में इन समितियों की सुचारू बैठक करवाने के निर्देश दिए। साथ ही लिंगानुपात सुधार हेतु जिलों में विशेष जागरूकता अभियान चलाने, कम लिंगानुपात वाले क्षेत्र में संवेदीकरण बैठकें आयोजित करने पर जोर दिया। उन्होंने राज्य समुचित प्राधिकारी को अल्ट्रासांउड केंद्र में विशेष निगरानी बरतने, अल्ट्रासाउंड केंद्रों के संचालकों के संवेंदीकरण हेतु कुमॉंऊ व गढवाल मंडल में बैठकें आयोजित करने, भू्रण हत्या जागरूकता को लेकर होर्डिंग स्थापित करने व प्रधानगणों को उक्त जागरूकता विषयक पंपलेट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

विधायक केदारनाथ श्रीमती शैलारानी रावत ने पीसीपीएनडीटी कमेटियों में महिलाओं को अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व देने पर जोर दिया। जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती अमरदेई शाह ने अल्ट्रासांड केंद्रों में कड़ी निगरानी करने की बात कही।

महानिदेशक स्वास्थ्य डाॅ. विनीता शाह ने लिंगानुपात सुधार के लिए सक्रिय योगदान वाले एनजीओ व बाल विकास विभाग को विभागीय जागरूकता अभियानों में जोडने की बात कही।

राज्य समुचित प्राधिकारी डाॅ. सरोज नैथानी ने पीसीपीएनडीटी कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न संचालित गतिविधयों के बारे में जानकारी दी।

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि जनपद रुद्रप्रयाग में लिंगानुपात में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि मा. मंत्री द्वारा लिंगानुपात के संबंध में जो भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं उनका अनुपालन सुनिश्चित कराया जाएगा।

पुलिस अधीक्षक डाॅ. विशाखा अशोक भदाणे ने कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट का उलंघन होने पर संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्यवाही के लिए स्वास्थ्य व पुलिस विभाग पर मजबूत समन्वय स्थापित किया जाना चाहिए। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. एच0सी0एस0 मर्तोलिया ने पीसीपीएनडीटी एक्ट के अंतर्गत जनपद में संपादित गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।

इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री ने सर्वश्रेष्ठ कार्य के लिए पौड़ी, अल्मोड़ा, देहरादून, हरिद्वार व यूएसनगर के पीसीपीएनडीटी जिला समन्वयकों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

इससे पूर्व डाॅ. आरके सिहं व रवि द्वारा पूर्व गढवाल मंडल, डाॅ. हरेंद्र महिक व प्रदीप मेहर द्वारा कुमाऊं मंडल व प्रभारी अधिकारी पीसीपीएनडीटी डाॅ. अर्जुन सिंह सेंगर द्वारा पीसीपीएनडीटी पर आधारित विभिन्न गतिविधियों का प्रजेंटेशन दिया।

इस अवसर पर 13 जनपदों के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला समन्वयक, पीसीपीएनडीटी के अलावा रूद्रप्रयाग, पौड़ी की पीसीपीएनडीटी जिला सलाहकार समिति के सदस्यों सहित जिलाध्यक्ष भाजपा महावीर सिंह पंवार, पूर्व जिलाध्यक्ष विजय कप्रवान, केदानाथ नगर पंचायत अध्यक्ष देवप्रकाश सेमवाल, अजय सेमवाल, उप जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग अपर्णा ढौंडियाल,जखोली परमानंद राम आदि मौजूद रहे।

 

*क्या है पीसीपीएनडीटी अनिनियम- 1994*

गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियाम -1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या रोकने व लिंगानुपात सुधारने के लिए संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। इस अधिनियम के अंतर्गत गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व लिंग निर्धारणध्चयन पर प्रतिबंध है। इसके अंतर्गत प्रत्येक अपराध संज्ञेय, गैर जमानती आपसी समझौते के लिए मान्य नहीं है। लिंग चयन करने वाले चिकित्सक एवं क्लीनिक के स्वामी के लिए दंड का प्राविधान है, जिसमें पहली बार दोषी पाए जाने पर 03 वर्ष तक की कैद और दस हजार का जुर्माना तत्पश्चात चिकित्सक का पंजीकरण 05 वर्ष के लिए समाप्त किया जा सकता है। दूसरी बार दोषी पाए जाने पर चिकित्सका का पंजीकरण हमेशा के लिए रद होगा और 05 वर्ष की कैद के साथ 01 लाख का जुर्माना हो सकता है। लिंग चयन कराने के लिए उकसाने पर पति ध्परिवार के सदस्य अथवा अन्य व्यक्ति को 03 वर्ष तक की सजा और 50 हजार का जुर्माना किया जा सकता है।

 

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