आपदा प्रभावित गांवों के विस्थापन को तेजी से कदम बढ़ रही सरकार, भू-गर्भीय सर्वेक्षण को चार टीमें गठित
आपदा की दृष्टि से संवेदनशील गांवों के विस्थापन को लेकर प्रदेश सरकार अब तेजी से कदम बढ़ा रही है। इस कड़ी में आपदा प्रभावित गांवों के भू-गर्भीय सर्वेक्षण के लिए चार अतिरिक्त टीमें गठित कर दी गई हैं। ये इस माह उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ जिलों के गांवों का सर्वेक्षण करेंगी। इसके साथ ही खनन विभाग के माध्यम से भी सर्वेक्षण का क्रम जारी रहेगा। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास एसए मुरुगेशन के अनुसार भू-गर्भीय सर्वेक्षण होने पर प्रभावित गांवों के विस्थापन में तेजी लाई जाएगी।
अतिवृष्टि, भू-स्खलन, भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं का दंश झेलते आ रहे उत्तराखंड में ऐसे गांवों की संख्या निरंतर बढ़ रही है, जहां स्थिति रहने लायक नहीं रह गई है। वर्ष 2015 तक ऐसे गांवों की संख्या 225 थी, जो अब चार सौ का आंकड़ा पार कर चुकी है। इसे देखते हुए सरकार ने आपदा की दृष्टि से संवेदनशील गांवों के विस्थापन पर फोकस किया है। पिछले साढ़े चार साल के दौरान 83 गांव विस्थापित किए जा चुके हैं। सरकार ने इस मुहिम में और तेजी लाने की ठानी है।
आपदा प्रभावित गांवों के विस्थापन में भू-गर्भीय सर्वेक्षण की रिपोर्ट सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग खनन विभाग के विशेषज्ञों के माध्यम से यह सर्वेक्षण कराता है। फिर इसके आधार पर आपदा के लिहाज से गांवों को अत्यंत संवेदनशील व संवेदनशील श्रेणी में रखा जाता है। अत्यंत संवेदनशील गांवों को विस्थापन में प्राथमिकता दी जाती है।
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास एसए मुरुगेशन ने बताया कि आपदा प्रभावित गांवों के भू-गर्भीय सर्वेक्षण में तेजी लाने के उद्देश्य से चार अतिरिक्त टीमें भी गठित की गई हैं। खनन विभाग के साथ-साथ यह टीमें भी सर्वेक्षण करेंगी। इस माह तीन जिलों के सूचीबद्ध गांवों का सर्वेक्षण करने के बाद यह टीमें अन्य जिलों में इस कार्य में जुटेंगी। उन्होंने कहा कि भू-गर्भीय सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर अत्यंत संवेदनशील श्रेणी वाले गांवों को पहले विस्थापित करने के लिए कसरत तेज की जाएगी।