उत्तराखंड में व्यावसायिक वाहनों के शुल्क पर नए सिरे से विचार
प्रदेश में अब दो राज्यों के बीच चलने वाले व्यावसायिक वाहनों के शुल्क में बदलाव की तैयारी चल रही है। इसके लिए दूसरे राज्यों में लिए जाने वाले शुल्क का अध्ययन किया जा रहा है। परिवहन विभाग अब गैरमुनाफे वाले मार्गों पर वाहनों का संचालन प्रोत्साहित करने के लिए टैक्स में संशोधन करने की तैयारी भी कर रहा है।
परिवहन विभाग की आय का एक प्रमुख जरिया वाहनों से लिया जाने वाला शुल्क है। प्रदेश में दो राज्यों के बीच चलने वाले वाहनों से दोनों राज्यों का शुल्क लिया जाता है। परिवहन विभाग ने कुछ समय पहले जब राजस्व को लेकर समीक्षा की तो यह पाया कि दोनों राज्यों के बीच चलने वाले वाहनों से मिलने वाले शुल्क से आय में कोई खास बढ़ोतरी दर्ज नहीं हुई है। इसके कारणों का अध्ययन करने पर यह बात सामने आई कि प्रदेश में लंबे समय से शुल्क नहीं बढ़ा है।
दूसरे राज्यों के वाहनों को उत्तराखंड में चलने के लिए लिया जाने वाला शुल्क अन्य राज्यों की तुलना में कम है। यहां के वाहनों को दूसरे राज्यों में चलने के लिए अधिक शुल्क देना पड़ता है। इसे देखते हुए निर्णय लिया गया कि जिन भी राज्यों के साथ उत्तराखंड का परिवहन समझौता हुआ है, उनके शुल्क का अध्ययन कर लिया जाए, ताकि शुल्क की दरों में समानता लाई जा सके। इसके लिए प्रस्ताव कैबिनेट को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
इसके अलावा पर्वतीय मार्गों पर यातायात के साधन बढ़ाने के लिए सभी मार्गों के टैक्स का नए सिरे से अध्ययन किया जाएगा। ऐसे मार्ग जहां वाहनों को मुनाफा नहीं होता, वहां वाहनों की संख्या बेहद कम है अथवा नहीं है। ऐसे में वाहनों के संचालन को प्रोत्साहित करने के लिए टैक्स की दरों में संशोधन किया जा सकता है।
सचिव परिवहन डा. रणजीत सिन्हा का कहना है कि विभाग को विभिन्न प्रकार के टैक्स का अध्ययन करने को कहा गया है। विभाग का मकसद आमजन को सुविधा देने के लिए व्यावसायिक वाहनों का संचालन सुनिश्चित कराना है।