वैज्ञानिकों की पकड़ में आया डेल्टा प्लस, उच्च स्तरीय लैब में किया कल्चर
कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वैरिएंट की पहचान होने के बाद भारतीय वैज्ञानिकों को एक और कामयाबी मिली है। उच्च स्तरीय लैब में डेल्टा प्लस वैरिएंट को कल्चर करने में वैज्ञानिक सफल रहे हैं जिसके बाद इस वैरिएंट का इन्सानों पर होने वाले असर का पता लगाना शुरू कर दिया है। इसके लिए चूहों की एक प्रजाति को डेल्टा प्लस से संक्रमित किया है।
कोरोना के डबल म्यूटेशन से निकले डेल्टा और फिर उसमें से बाहर आए डेल्टा प्लस के बारे में काफी सीमित जानकारी है। यह वैरिएंट किस तरह कार्य करता है और इन्सानों पर इसका कितना प्रभाव होता है? इसके बारे में अब तक वैज्ञानिक तथ्य पर्याप्त नहीं है।
इन्हीं की जानकारी हासिल करने के लिए नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआईवी) की टीम पिछले कई दिनों से डेल्टा प्लस को कल्चर करने में जुटी हुई थी लेकिन उसे अब कामयाबी मिल चुकी है।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल का कहना है कि कल्चर के बाद अब वैरिएंट का असर पता करने के लिए अध्ययन शुरू हो चुका है। उम्मीद है कि अगले कुछ सप्ताह बाद हमें वैज्ञानिक तथ्यों के साथ यह पता चलेगा कि यह वैरिएंट कितना प्रभावी है?
लोगों को संक्रमित करने के बाद क्या यह गंभीर स्थिति में लाता है? वैक्सीन लेने या फिर पहले से संक्रमित व्यक्ति को यह दोबारा कितना चपेट में लेता है? इन सभी सवालों के जवाब हमें मिल जाएगा जिसके बाद इसकी गंभीरता के अनुसार रणनीति पर काम होगा।
हैमस्टर पर किया परीक्षण
वहीं एनआईवी की एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि फिलहाल नौ-नौ सीरियाई हैमस्टर (चूहों की एक प्रजाति) के समूह में से दो को डेल्टा प्लस से संक्रमित किया है। इनमें एक समूह ऐसा है जिनमें कोरोना के खिलाफ पहले से एंटीबॉडी मौजूद हैं।
इस समूह को डेल्टा प्लस से संक्रमित किया है ताकि यह पता चल सके कि क्या डेल्टा प्लस की वजह से एंटीबॉडी का स्तर कम होता है? चूंकि डेल्टा वैरिएंट काफी तेजी से फैलता और एंटीबॉडी कम करता है। ऐसे में टीकाकरण के बाद और दोबारा संक्रमित होने की आशंका काफी बढ़ जाती है।
शायद इसीलिए डेल्टा प्लस को भी गंभीर वैरिएंट के रुप में माना जा रहा है लेकिन अब तथ्यों के आधार पर आगे का फैसला होगा।
तीन से चार सप्ताह में अध्ययन पूरा होगा
आईसीएमआर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि डेल्टा प्लस का अध्ययन पूरा होने में अभी कम से कम तीन से चार सप्ताह का वक्त लगेगा। 15-15 दिन के अंतराल में सभी समूह की गतिविधियों को दर्ज किया जाएगा और फिर समीक्षा करने के साथ इस अध्ययन के परिणाम सार्वजनिक होगें।
उन्होंने बताया कि जिस टीम ने कोरोना वायरस को सबसे पहले कल्चर किया था उसी ने अब डेल्टा प्लस को भी कल्चर किया है। उनके अनुसार जब तक वायरस कल्चर के सा?थ वैज्ञानिकों के हाथ नहीं लगता है तब तक उससे संबंधित कोई भी जानकारी हासिल कर पाना मुश्किल है।
12 राज्यों में मिल चुका है डेल्टा प्लस
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार डेल्टा प्लस अब तक देश के 12 राज्यों में मिल चुका है। महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, तमिलनाडु, एमपी, पंजाब, गुजरात, ओडिशा, जम्मू, राजस्थान और कर्नाटक में डेल्टा प्लस के कुल 51 मामले मिले हैं। जबकि जीनोम सीक्वेंसिंग को लेकर सूत्रों का कहना है कि अब तक देश में 68 से ज्यादा मरीजों की पुष्टि हो चुकी है।