देहरादून में परचून की दुकानों में उमड़ी भीड़, कोरोना की रोकथाम के लिए बनाए गए नियम भूले लोग
प्रशासन की ओर से आवश्यक खाद्य वस्तुओं की दुकानों को शुक्रवार को खोलने की छूट दी गई। दून के बाजार में आमजन की भीड़ उमड़ पड़ी, जिससे एक बार फिर कोरोना संक्रमण के खतरे के साथ प्रशासन की चिंता बढ़ गई है। हालांकि संक्रमण के मामले लगातार कम होते जा रहे हैं, लेकिन इस तरह की लापरवाही घातक हो सकती है।
सुबह आठ बजे से अति आवश्यक वस्तुओं की दुकानें खुलीं। जिसके बाद मोती बाजार सब्जी मंडी, आढ़त बाजार, हनुमान चौक, दर्शनी गेट, धामावाला, रामलीला बाजार, श्रीझंडा बाजार आदि में भारी भीड़ उमड़ पड़ी। साथ ही यहां कोरोना की रोकथाम को बनाए गए नियम भी तार-तार होते हुए दिखाई दिए। आढ़त बाजार में कई ग्राहकों ने मास्क ही नहीं पहने हुए थे। कुछ दुकानदारों ने मास्क तो पहना था, लेकिन मुंह व नाक को ठीक से नहीं ढका था। इसके अलावा कई लोडर वाहन चालक व ई-रिक्शा चालकों ने भी मास्क का प्रयोग नहीं किया।
इसी तरह आढ़त बाजार में घर का सामान खरीदने वाले रेसकोर्स निवासी आदित्य कुमार, संगीता देवी डोभाल, जयकृत सिंह, खुड़बुड़ा मोहल्ला निवासी संजय कुमार, महेश सिंह, ज्योति गैरोला आदि ने कहा कि शुक्रवार को बाजार में भीड़ प्रशासन की गलती से लग रही है। यदि प्रशासनिक स्तर से गली मोहल्ले की परचून की दुकानों को प्रतिदिन तीन घंटे खोलने की इजाजत दी जाए तो इस तरह की समस्या से आसानी से निपटा जा सकता है। स्थानीय निवासियों ने कहा कि जब डेयरी, मीट-मछली, सब्जी-फल आवश्यक वस्तुओं में शामिल हैं तो खाद्य तेल, नमक, आटा, चीनी व मसाले की क्या प्रत्येक घर में हर रोज जरूरत नहीं होती है। प्रशासन का निर्णय अव्यवहारिक है।
सिद्धार्थ उमेश अग्रवाल (कार्यकारी अध्यक्ष दून उद्योग व्यापार मंडल) का कहना है कि जब तक प्रशासन की ओर से परचून की दुकानों को हर रोज सीमित समय के लिए खोलने की अनुमति नहीं दी जाती तब तक इसी तरह बाजार में ग्राहकों की भीड़ उमड़ेगी। प्रशासन से मांग की गई है कि एक जून से व्यापारिक प्रतिष्ठानों को रूटीन व सीमित समय सारिणी के अनुसार खोलने की अनुमति दी जाए।
सुनील कुमार बांगा (अध्यक्ष दून उद्योग व्यापार प्रकोष्ठ) का कहना है कि व्यापारियों की प्रशासन से मांग है कि एक जून से व्यापारिक प्रतिष्ठानों को सुबह 10 से शाम पांच बजे तक खोला जाना चाहिए। अब कोरोना संक्रमण काफी कम हो चुका है। छोटे व्यापारी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। प्रशासन साप्ताहिक बंदी को पहले की तरह जारी रखे।