हर किस की जुबां पर हर हर गंगे का ही उदघोष
गुरूवार को भले ही मकर संक्राति स्नान को कुंभ स्नान में शामिल नहीं किया गया, लेकिन देशभर से श्र(ालु जेहन में कुंभ स्नान की आस्था लेकर ही कुंभनगरी पहुंचे थे। मोक्षदायिनी गंगा की अमृत धरा में डुबकी लगाकर श्र(ालु गदगद हो उठे।
हर किस की जुबां पर हर हर गंगे का ही उदघोष था। मानो गंगा की गोद में डुबकी लगाकर हर श्र(ालु की मनचाही ख्वाहिश पूरी हो गई हो। श्र(ालुओं के चेहरे पर कोरोना को लेकर चिंता की लकीरें जरुर दिऽाई दीं, लेकिन आस्था की डोर से बंध्कर वे यहां चले आए। कुंभनगरी में मकर संक्राति स्नान पर्व पर रौनक देऽते ही बन रही थी। विशेषकर हरकी पैड़ी और उससे सटे गंगा घाटों पर श्र(ालु आस्था में सराबोर दिऽाई दिए। सुदूर झारऽंड के ध्नबाद से यहां पहुंचे संतोष कुमार गंगा स्नान के बाद अभिभूत दिऽाई दिए। पूछने पर बोले कि कुंभ स्नान की आस्था लेकर यहां पहुंचे थे।
बकौल संतोष श्मन बेहद ही प्रसन्न है, लेकिन किसी ने भी कोविड नेगेटिव की रिपोर्ट नहीं मांगी। वे ट्रेन से यहां पहुंचे और कहीं भी थर्मल स्क्रीनिंग नहीं हुई। जम्मू के बड़गांव से पहुंची महिला श्र(ालु शीतला देवी बोली कि सुना है कि कुंभ स्नान से अमृत की प्राप्ति होती है। इसी कामना के साथ वे यहां स्वजन के साथ पहुंची है। गंगा मैÕया में डुबकी लगातार ही बेहद ही आनंद मिला।
झारऽंड की रहने वाली मनदीप देवी बोली कि कोरोना का डर मन में था, लेकिन आस्था उन्हें यहां ऽींच लाई। उन्होंने कहा कि वे इसे कुंभ स्नान ही मानती हैं। उन्हें स्नान पर्व की घोषणा से कोई मतलब वास्ता नहीं है। प्रदेश के ही पिथौरागढ़ से पहुंची 75 वर्षीया सीतादेवी की माने तो इस स्नान पर्व में पहुंचकर असीम सुऽ की प्राप्ति हुई है। कोरोना का डर भी था, लेकिन बस स्नान पर्व पर पहुंचने की बात ठानी हुई थी।