गुजरात के सूरत शहर में मंत्री के बेटे ने दी धमकी, अधिकारियों ने नहीं की कार्रवाई, निराश होकर महिला कांस्टेबल ने दिया इस्तीफा

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गुजरात के सूरत शहर में एक महिला कांस्टेबल को मंत्री के बेटे से मिली धमकी के बाद अपने पद से इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा है। दरअसल, महिला कांस्टेबल ने सूबे में स्वास्थ्य राज्य मंत्री कुमार कनानी के बेटे प्रकाश और उसके दोस्तों को नाइट कर्फ्यू का पालन नहीं करने और मास्क नहीं पहनने पर चेक प्वाइंट पर रोक दिया और उनसे पूछताछ की। इस दौरान मंत्री के बेटे ने कांस्टेबल को धमकी दी।

सहायक पुलिस आयुक्त (विशेष शाखा) पीएल चौधरी ने कहा कि महिला कांस्टेबल और मंत्री के बेटे के बीच हुई बहस की एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस क्लिप में सुना जा सकता है कि मंत्री कुमार कनानी का बेटा प्रकाश महिला कांस्टेबल सुनीता यादव के साथ बहस कर रहा है और अपनी राजनीतिक पैठ को लेकर उसे धमका रहा है।
उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद सुनीता ने अपने शीर्ष अधिकारियों से बातचीत की। जहां अधिकारियों ने मामले को रफा दफा करने और घटनास्थल से जाने को कहा। इस घटना से महिला कांस्टेबल खासा निराश हो गई और उसने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। चौधरी ने बताया कि यह घटना बुधवार रात को सूरत के मानगढ़ चौक पर हुई।

चौधरी ने कहा कि जब ऑडियो क्लिप के बारे में सूरत के पुलिस कमिश्नर आर बी ब्रह्मभट्ट को पता चला तो उन्होंने एसीपी (ए-डिवीजन) सीके पटेल से मामले की जांच करने को कहा। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी।

ऑडियो क्लिप में युवक को कहते सुना जा सकता है कि उसकी पहुंच इतनी है कि वह उसे यहीं पर 365 दिनों के लिए खड़ा करवा सकता है। इस पर महिला कांस्टेबल कहती है कि वह उसकी दासी या उसके पिता की सेवक नहीं है कि वे 365 दिनों के लिए यहीं पर उसे तैनात करवा दें।

तब वह यह सूचना देने के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारी को कॉल करती है कि कोरोना वायरस के चलते लगाए गए कर्फ्यू के दौरान रात दस बजे के बाद बिना मास्क लगाए कार से घूम रहे लोगों को उसने जब रोका तब उन्होंने प्रकाश को बुला लिया। महिला कांस्टेबल को यह कहते सुना जा सकता है कि जब प्रकाश वहां पहुंचा तो उन लोगों ने उन्हें धमकी दी और बदतमीजी की।

हालांकि मंत्री ने दावा किया कि उनका बेटा कोरोना वायरस का इलाज करा रहे अपने ससुर को देखने सिविल अस्पताल जा रहा था क्योंकि उनकी हालत नाजुक थी, उसी बीच कांस्टेबल ने उसे रोका।

मंत्री ने कहा कि उसने जाने देने का अनुरोध किया। उन्होंने दलील दी कि वाहन पर विधायक क्यों लिखा है। तब उसने कहा कि यह उसके पिता का वाहन है। फिर उन्होंने (महिला कांस्टेबल ने) सवाल किया कि वह मेरी गाड़ी में क्यों है। मैं मानता हूं कि उन्हें यह समझने की कोशिश करनी चाहिए थी कि मेरा बेटा क्या कह रहा है। मैं मानता हूं कि दोनों पक्षों को एक दूसरे को समझना चाहिए था।

 

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