यहां हनुमान की पूंछ नहीं उठा पाए थे भीम, अहंकार तोड़ते हुए बजरंग बली ने आशीर्वाद स्वरूप में दिए थे दर्शन
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में समुद्रताल से 6320 मीटर ऊंची बंदर पूंछ चोटी विश्व विख्यात है। इस चोटी को पर्वतारोही और पहाड़ के वाशिंदे हनुमान के स्वरूप में मानते हैं और महाभारत काल का एक किस्सा भी इस चोटी से जोड़ते हैं।
इसलिए कहा जाता बंदर पूंछ चोटी
यहां भीम वानर रूप में हनुमान की पूंछ नहीं उठा पाए। भीम का अहंकार तोड़ते हुए हनुमान ने भीम को आशीर्वाद स्वरूप में दर्शन दिए। तब से इस चोटी को बंदर पूंछ चोटी कहा जाता है।
यहां से निकलती है हनुमान गंगा
बंदर पूंछ चोटी के ग्लेशियार से आज भी हनुमान गंगा निकलती है। हनुमान गंगा यमुनोत्री धाम से 15 किलोमीटर पहले यमुनोत्री राजमार्ग पर स्थित हनुमान चट्टी में यमुना नदी से मिलती है।
हनुमान चट्टी में एक पहाड़ी पर हनुमान का पौराणिक मंदिर भी है। स्कंद पुराण के केदारखंड में भी बंदर पूंछ और हनुमान गंगा का उल्लेख मिलता है।
अज्ञातवास के दौरान पांडव आए थे यहां
बंदर पूंछ चोटी यमुनोत्री धाम के निकट स्थित है। इस चोटी से जुड़ी मान्यताओं को लेकर यमुनोत्री मंदिर समिति के उपाध्यक्ष राजस्वरूप उनियाल कहते हैं कि महाभारत काल में पांडव वनवास के दौरान जब अज्ञातवास पर थे तो उत्तराखंड में यमुनोत्री धाम के निकट लाखामंडल क्षेत्र में आए थे।
फूल की सुगंध से द्रौपदी हुई प्रभावित
इसी दौरान इस क्षेत्र में पांडवों को वेश बदलकर रहना पड़ा था। एक बार हिमालय क्षेत्र का एक सुगंधित पुष्प पांडवों की कुटिया तक पहुंचा। फूल की सुगंध से द्रौपदी प्रभावित हुई तो उसने भीम को और सुगंधित फूल लाने के लिए कहा।
भीम को रास्ते में लेटा मिला एक वानर
सुगंधित फूल की खोज में भीम हिमालय की ओर चल पड़े। तो एक स्थान पर भीम को रास्ते में एक वानर लेटा मिला। भीम ने अपनी शक्ति के बारे में अपना परिचय देते हुए वानर से आग्रह किया कि रास्ते से हटा जाएं।
वानर ने कहा पूंछ उठाकर जा सकते हो
लेकिन, वानर ने कहा कि वह वृद्ध और कमजोर है। इसलिए लांघकर ही चले जाओ। इस पर भीम क्रोधित हुआ। फिर वानर ने भीम से कहा कि पूंछ उठाकर जा सकते हो।
पूंछ को हिला भी नहीं पाए भीम
भीम ने गुस्से में आकर वानर की पूंछ उठाने का प्रयास किया। लेकिन, वह पूंछ को हिला भी नहीं पाए। तब भीम ने हाथ जोड़कर वानर से परिचय पूछा तो वानर ने बताया कि वह कोई और नहीं हनुमान हैं।
हनुमान ने भीम को दिए दर्शन
राजस्वरूप उनियाल कहते हैं कि जब हनुमान जी ने भीम को दर्शन देते हुए बताया कि हिमालय का यह रास्ता देवताओं का है। वहां मनुष्यों के लिए सुरक्षित नहीं है। इसलिए तुम्हारी रक्षा के लिए आना पड़ा।
हनुमान के विराट रूप को देखने की इच्छा
अब तुम हिमालय के इस विशेष वन से फूल लेकर जा सकते हो। उसी समय भीम ने हनुमान जी के विराट रूप को देखने की इच्छा भी व्यक्त की। तो हनुमान जी ने अपना विराट रूप धारण किया। आज भी उसी स्वरूप में बंदर पूंछ पर्वत है।
हनुमान जी की मौजूदगी का होता है अहसास
एवरेस्ट विजेता विष्णु सेमवाल कहते हैं कि सैलानी और पर्वतारोही जब बंदर पूंछ चोटी के आरोहण के लिए जाते हैं तो पहले हनुमान जी की पूजा-अर्चना करते हैं। बंदर पूंछ चोटी के बेस कैंप क्षेत्र में भी हनुमान जी की मौजूदगी का अहसास होता है।
वह कई बार बंदरपूंछ चोटी के बेस कैंप और हनुमान गंगा के उद्गम स्थल के ग्लेशियर क्षेत्र का भ्रमण कर चुके हैं। वह कहते हैं कि एवरेस्ट आरोहण से पहले 1951 में शेरफा तेंजिंग ने बंदर पूंछ चोटी का आरोहण किया था।