हरिद्वार में पंचायत चुनाव को लेकर खड़ा हो गया वैधानिक संकट, पहली बार सामने आई है इस तरह की स्थिति

0
23_02_2022-panchayatchun_22491409

हरिद्वार जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर वैधानिक संकट खड़ा हो गया है। पंचायतीराज एक्ट में संशोधन के बाद प्रशासकों का कार्यकाल छह माह और बढ़ाने के बाद भी वहां चुनाव की स्थिति नहीं बन पा रही है। ग्राम पंचायतों के प्रशासकों के कार्यकाल की अवधि 29 मार्च को खत्म हो रही है। राज्य गठन के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर ऐसी स्थिति पहली बार बनी है। इसे देखते हुए अब शासन ने महाधिवक्ता और न्याय विभाग से राय लेने का निश्चय किया है।

प्रदेश में हरिद्वार ऐसा जिला है, जहां त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव अन्य जिलों के साथ नहीं हो पाते। राज्य गठन के बाद से ही यह क्रम बना हुआ है। वहां पंचायतों का गठन अन्य जिलों से सालभर बाद होता है। इसी के चलते अक्टूबर 2019 में हुए पंचायत चुनावों में हरिद्वार में चुनाव नहीं हो पाए थे। हरिद्वार में पिछले पंचायत चुनाव वर्ष 2015 के आखिर में हुए थे। तब वहां 29 मार्च 2016 को ग्राम पंचायतों, 16 मई को जिला पंचायत और 10 जून को क्षेत्र पंचायतों की पहली बैठक हुई थी। पहली बैठक के साथ ही पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल शुरू होता है, जो पिछले वर्ष खत्म हुआ।

पंचायतीराज एक्ट के अनुसार पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने से 15 दिन पहले तक चुनाव न होने की स्थिति में उन्हें छह माह तक प्रशासकों के हवाले किया जा सकता है। इस क्रम में मार्च से हरिद्वार जिले में त्रिस्तरीय पंचायतों में प्रशासक नियुक्त किए गए। इस अवधि के भीतर भी चुनाव न हो पाने पर सरकार ने पंचायतीराज एक्ट में संशोधन कर प्रशासकों का कार्यकाल छह माह और आगे बढ़ाया।

हरिद्वार की 306 ग्राम पंचायतों में प्रशासकों का कार्यकाल आगामी 29 मार्च को खत्म हो जाएगा। इस अवधि में भी चुनाव की स्थिति नहीं बन पा रही है, जिससे वैधानिक संकट खड़ा हो गया है। यद्यपि, विधानसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न होने के बाद शासन ने हरिद्वार में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के मद्देनजर चुनाव आयोग से अनुमति मांगी थी, लेकिन वह उसे नहीं मिल पाई। ऐसे में अब सभी की नजर शासन और सरकार के अगले कदम पर टिक गई है।

-नितेश झा (सचिव पंचायतीराज) का कहना है कि हरिद्वार जिले में पंचायत चुनाव न होने से वैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इस सिलसिले में महाधिवक्ता और न्याय विभाग से राय ली जा रही है। इसके बाद ही कोई कदम उठाया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed