देहरादून में बारिश ने तोड़ा 70 साल का रिकार्ड, 24 घंटे के भीतर हुई इतनी मिलीमीटर बारिश
देहरादून में मानसून की बारिश ने नया रिकार्ड बना दिया। अगस्त में एक ही दिन के भीतर 70 साल बाद 254 मिमी बारिश दर्ज की गई। इससे पहले वर्ष 1951 में अगस्त में 24 घंटे में 332 मिमी बारिश दर्ज की गई थी। मंगलवार शाम से बुधवार की शाम तक देहरादून में हुई जबरदस्त बारिश से जन-जीवन प्रभावित रहा। एक इलाके में इतने कम समय में हुई भारी बारिश ने आपदा जैसे हालात बना दिए। यहां अतिवृष्टि के कारण खासा नुकसान होने का अनुमान है।
देहरादून के सहस्रधारा क्षेत्र में 254 मिमी के बाद ऋषिकेश में सर्वाधिक 207 मिमी बारिश रिकार्ड की गई। इसके अलावा बागेश्वर में 151 मिमी, टिहरी के नरेंद्रनगर में 149 और पिथौरागढ़ में 100 मिलीमीटर के करीब बारिश हुई। उत्तरकाशी में बारिश सबसे कम हुई। दून में पिछले दस साल की बात करें तो अगस्त में एक दिन के भीतर सर्वाधिक बारिश वर्ष 2012 में 190 मिमीमीटर हुई थी।
आइटी पार्क सब स्टेशन में विद्युत उपकरणों में धमाका
भारी बारिश के कारण दून के कई इलाकों में विद्युत आपूर्ति भी बाधित रही। आइटी पार्क सब स्टेशन में विद्युत उपकरणों में धमाका होने के कारण बड़ा फाल्ट आ गया। जिसके चलते सहस्रधारा रोड से सटे कई इलाकों में घंटों बिजली गुल रही। डांडा खुदानेवाला और डांडा लखौंड में देर रात तक आपूर्ति सुचारू नहीं हो पाई। वहीं, कई क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति बाधित होने के कारण पेयजल आपूर्ति भी प्रभावित रही।
नदी तटों से नागरिकों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाएं
मौसम विभाग के 28 अगस्त तक भारी बारिश के अलर्ट को देखते हुए जिलाधिकारी ने आपदा राहत और बचाव कार्य को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। बुधवार को जारी आदेश में जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार ने कहा कि नदी तटों पर रह रही आबादी को खतरा पैदा हो सकता है। जहां खतरा अधिक दिख रहा है, वहां से नागरिकों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाए।
वहीं, आपदा प्रभावित व्यक्तियों को राहत राशि मुहैया कराने के साथ ही जरूरत के मुताबिक भोजन व राशन का भी इंतजाम कराया जाए। इसके अलावा उन्होंने नगर निगम को निर्देश दिए कि शहर में जलभराव वाले स्थानों पर डी-वाटरिंग पंप के माध्यम से पानी की निकासी कराई जाए। जहां सड़कें बाधित हो रही हैं, वहां संबंधित अधिशासी अभियंता जेसीबी आदि के माध्यम से त्वरित सड़कों को खोलने की व्यवस्था करें। इसी तरह क्षतिग्रस्त पेयजल लाइनों को तत्काल ठीक करने के लिए जल संस्थान अधिकारियों को भी दिशा-निर्देश जारी किए गए।