Graphic Era से अब हिंदी में भी करें इंजीनियरिंग की पढ़ाई, केंद्र से अनुमति पाने वाला उत्तराखंड का एकमात्र संस्थान
उत्तराखंड और अन्य राज्यों के हिंदीभाषी युवाओं के लिए इंजीनियरिंग करके भविष्य संवारने की एक राह खुल गई है। अपने सामाजिक सरोकारों व विश्व स्तरीय शिक्षा के लिए पहचानी जाने वाली ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी को केंद्र सरकार ने इसके लिए चुना है। नैक में ‘ए’ ग्रेड पाने और देश के टाप 100 विश्वविद्यालयों की सूची में स्थान पाने के बाद ग्राफिक एरा की यह एक बड़ी कामयाबी है।
केंद्र सरकार ने ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी को देश के उन 14 चुनिंदा संस्थानों में शामिल किया है, जहां अब क्षेत्रीय भाषा में भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराई जाएगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ट्वीट करके अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) के इस फैसले की सराहना की व इसे नई शिक्षा नीति से जुड़ा कदम बताया है। एआइसीटीई ने हिंदी के साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं मराठी, तमिल, तेलगु, कन्नड़, गुजराती, मलयालम, बंगाली, असमी, पंजाबी और उडिय़ा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने के लिए यह कदम उठाया है।
आठ राज्यों के 14 संस्थानों को इन भाषाओं में इंजीनियरिंग की शिक्षा शुरू करने की अनुमति दी है। उत्तराखंड राज्य से केवल ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवॢसटी को इस नई पहल के लिए चुना गया है। देश भर में ग्राफिक एरा को सबसे ज्यादा 180 सीटों पर यह शुरुआत करने के लिए अधिकृत किया गया है। ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवॢसटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रानिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और मैकेनिकल इंजीनियरिंग कोर्स अब 60-60 सीटों के साथ हिंदी में भी चलाए जाएंगे।
इसी सत्र से शुरू होगी हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई
ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष प्रो. कमल घनशाला ने एआइसीटीई की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि इससे हिंदी माध्यम से शिक्षा पाने वाले छात्र-छात्राओं के लिए सूचना प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग और मैकेनिकल इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्र खुल गए हैं। अभी तक हिंदी माध्यम से 12वीं तक की शिक्षा पाने वाले छात्र-छात्राओं के लिए हिंदी में इंजीनियरिंग करने के अवसर न होने के कारण मजबूरन दूसरे क्षेत्रों में जाना पड़ता था।
इस कारण काफी प्रतिभाशाली युवाओं का इंजीनियर बनने का सपना पूरा नहीं हो पाता था। अब ऐसी प्रतिभाएं भी कामयाबी के नए आयाम स्थापित कर सकेंगी। प्रो. घनशाला ने बताया कि इसी सत्र में हिंदी माध्यम से भी इंजीनियरिंग की शिक्षा शुरू की जाएगी। इसके लिए तैयारियां तेज कर दी गई हैं।