शहीद मनदीप की अंत्येष्टि में उमड़ा जनसैलाब, नम आंखों से दी अंतिम विदाई

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जम्मू कश्मीर में ड्यूटी के दौरान बिजली गिरने से बृहस्पतिवार को शहीद हुए कोटद्वार में पोखड़ा के सकनोली गांव निवासी शहीद मनदीप नेगी का पैतृक घाट पर सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के अंतिम संस्कार में सैकड़ों की भीड़ उमड़ी। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

रविवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे गढ़वाल राइफल के वाहन द्वारा शहीद मनदीप का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव में लाया गया। गांव पहुंचे मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, गढ़वाल राइफल से ब्रिगेडियर हरमीत सेठी, जिलाधिकारी डॉ. विजय जोगदंडे, एसएसपी पी. रेणुका देवी ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित किए।

इसके बाद सेना के बैंड की धुन पर शहीद के घरसे घाट तक अंतिम यात्रा शुरू हुई, जिसमें लोगों की खूब भीड़ उमड़ी। पैतृक घाट पर गढ़वाल रेजीमेंट के जवानों ने तीन राउंड हवा में गोलियां दागकर शहीद को अंतिम सलामी दी। शहीद के चाचा दिगंबर सिंह ने शहीद की चिता को मुखाग्नि दी।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत शहीद के गांव सकनोली पहुंचे। सीएम ने शहीद के परिजनों को ढांढस बंधाया। मुख्यमंत्री ने परिजनों को राज्य सरकार से हर संभव मदद का आश्वासन दिया। इस मौके सीएम ने कहा कि देवभूमि के जवानों ने समय-समय पर अपनी शहादत देकर देश की सीमाओं की रक्षा की है।

शहीद मनदीप ने वीरों की इस परंपरा को आगे बढ़ाया है, जिस पर समस्त देवभूमि वासियों को गर्व है। उन्होंने शहीद मनदीप सिंह नेगी के गांव की सड़क का डामरीकरण करने और सड़क का नाम का शहीद मनदीप मार्ग रखने की घोषणा की।

इस मौके पर सीडीओ आशीष भटगाई, अपर जिलाधिकारी डॉ. एसके बरनवाल, जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी कर्नल ओम प्रकाश फरस्वाण, मेजर करन सिंह, एएसपी अनूप काला, भाजयुमो जिलाध्यक्ष सौरभ नौडियाल, पर्यटनमंत्री के पीआरओ राय सिंह नेगी सहित कई मौजूद थे।

बता दें कि मनदीप अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। वह पिछले साल दो माह की छुट्टी पर घर आए थे। घर में मनदीप की शादी की तैयारी चल रही थी। पिता सतपाल का कहना है कि रोज शाम मनदीप का फोन आता था।

बृहस्पतिवार को उनका फोन नहीं आने से वे कुछ आशंकित तो थे। लेकिन उन्हें मनदीप की शहादत की खबर मिलेगी, यह उन्होंने कभी नहीं सोचा था। उनका कहना है कि बेटे की शहादत का गम तो जीवन भर रहेगा, लेकिन उन्हें अपने बेटे के सर्वोच्च बलिदान पर गर्व है।

 

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