कोरोना से ज्यादा जानलेवा हुआ ब्लैक फंगस, मृत्यु दर पहुंची 15.73 प्रतिशत

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प्रदेश में कोरोना संक्रमण से ज्यादा जानलेवा ब्लैक फंगस साबित हो रहा है। हाल यह है कि ब्लैक फंगस से मृत्यु दर जहां 15.73 प्रतिशत है, वहीं कोरोना संक्रमण से मृत्यु दर दो प्रतिशत ही है।

 

प्रदेश में कोरोना संक्रमण का पहला मामला 15 मार्च 2020 को देहरादून में मिला था। कोरोना काल के 451 दिनों के भीतर प्रदेश में 335866 लोग संक्रमण की चपेट में आए हैं। इसमें 316621 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं और 6878 मरीजों की मौत हुई है। कोरोना संक्रमण की मृत्यु दर दो प्रतिशत है।

जबकि ब्लैक फंगस का पहला मामला 14 मई 2021 को देहरादून में मिला है। अब तक देहरादून, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर जिले में 356 मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हो चुकी है। जबकि 56 मरीजों ने दमतोड़ा है और 31 मरीज ठीक हुए हैं।

जिला       –     ब्लैक फंगस मामले    –     मौतें
देहरादून    –     319                       –        50
नैनीताल    –      36                        –       05
ऊधमसिंह नगर – 01                      –        01
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कुल-               356                      –          56
मुख्य सचिव ने दिए 40 हजार टेस्ट प्रतिदिन करने के निर्देश
प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम होते ही सैंपलों की जांच भी कम हो गई है। 66 दिन के बाद प्रदेेश में एक दिन में सबसे कम 18260 सैंपलों की जांच हुई है। गुरुवार को मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कोरोना की समीक्षा बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को प्रतिदिन 40 हजार टेस्टिंग करने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने सचिवालय में कोरोना की तीसरी लहर से बचाव की तैयारियों को लेकर बैठक ली। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि प्रदेश में संक्रमित मामलों में कमी आने के बावजूद टेस्टिंग को किसी भी हाल में कम न किया जाए। उन्होंने प्रतिदिन 40 हजार टेस्ट का लक्ष्य पूरा किया जाए।

कोरोना की तीसरी लहर के लिए तैयारियां पूरी करते हुए क्लीनिकल प्रोटोकोल के अनुसार बाल चिकित्सकों व नर्सों का कोविड केयर के बारे में प्रशिक्षण दिया जाए। अस्पतालों में बच्चों के ऑक्सीजन, मास्क, दवाईयों व्यवस्थाओं की तैयारी के लिए 30 जून तक कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए। प्रदेश में ऑक्सीजन की उपलब्धता में काफी सुधार हुआ है। आने वाले समय में और अधिक ऑक्सीजन प्लांट राज्य में स्थापित किए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में मार्ग अवरूद्ध होने के कारण ऑक्सीजन के ट्रांसपोर्टेशन में समस्या आ सकती है। इसके लिए प्रत्येक जनपद में ऑक्सीजन की स्टोरेज और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पर विशेष ध्यान दें। इससे पर्वतीय क्षेत्रों में विषम परिस्थितियों में भी ऑक्सीजन की उपलब्धता बनी रहेगी।

 

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