नैनीताल के स्कूलों पर लग रहा ग्रहण, तीन और स्कूल बंद, 14 प्राइमरी स्कूल चार स्कूलों में मर्ज
स्कूली शिक्षा का हब कहे जाने वाली सरोवर नगरी के स्कूलों पर न जाने किसकी नजर लग गई है। नगर के स्कूलों के बंद होने का सिलसिला पिछले डेढ़ दशक से जारी है। इस दौरान तीन प्राइमरी स्कूल पूर्ण रूप से बंद हो चुके हैं। जबकि बच्चों के अभाव में 14 सरकारी प्राइमरी स्कूलों का चार स्कूलों में एकीकरण कर दिया गया। इनके अलावा दो पब्लिक पिछले साल बंद हो चुके हैं और पिछले सत्र में एक आवासीय विद्यालय का संचालन बंद हो चुका है।
नैनीताल के स्कूलों की ब्रिटिशकाल से अलग साख रही है। देश-विदेश के हजारों विद्यार्थियों ने यहां के स्कूलों से शिक्षा ग्रहण कर अपना भविष्य संवारा और जहां भर में नाम रोशन किया। मगर अब यहां के स्कूली शिक्षा में ग्रहण लगने लगा है। प्राइमरी स्कूलों में ताला लगने का सिलसिला 2009 से शुरू हो गया था। बंद होने वालों में राजकीय कन्या प्राइमरी विद्यालय व राजकीय बालक प्राइमरी विद्यालयों की संख्या सर्वाधिक है।
बंद व एकीकरण हुए स्कूल
नगर के बंद होने वाले स्कूलों में राजकीय प्राइमरी विद्यालय कपूर लॉज, राजकीय प्राइमरी विद्यालय आयारपाटा व राजकीय प्राइमरी विद्यालय नारायण नगर के नाम शामिल हैं। इनके अलावा राजकीय कन्या विद्यालय, राबाप्रावि मल्लीताल व राकप्रावि रायल होटल स्थित का राप्रावि मल्लीताल मे एकीकरण कर दिया गया। इसी तरह से राकप्रावि रईश होटल व मोटर गैराज स्कूल का राकप्रावि तल्लीताल में एकीकरण कर दिया गया। राप्रावि ब्रेसाइड, राप्रावि शेर का डांडा व राप्रावि तारालॉज को मिलाकर एक स्कूल में तब्दील कर दिया गया। इसी तरह से राबाप्रावि आर्यसमाज, राबाप्रावि मोटर गैराज, राबाप्रावि तल्लीताल व राकप्रावि तल्लीताल का एकीकरण कर दिया गया। इनके अलावा नगर का मशहूर होली एंजिल्स पब्लिक स्कूल व लर्निंग ट्री स्कूल गत सत्र में बंद हो गए, जबकि इस सत्र में अम्तुल पब्लिक स्कूल का आवासीय सेक्शन बंद हो चुका है, जबकि इस विद्यालय में सिर्फ डेस्कालर ही संचालित किया जा रहा है।
स्कूल बंद होने के कारण
सरकारी स्कूलों के बंद होने का सबसे बड़ा कारण बच्चों की संख्या का अभाव हैं, जबकि दूसरा बड़ा कारण निजी स्कूलों की संख्या बढऩा है। पिछले ढाई दशक के अंतराल में नगर में तीन दर्जन से अधिक निजी स्कूल खुल गए। बेहतर शिक्षा प्रदान करने के कारण यह स्कूल निरंतर आगे बढ़ते चले गए। सरकारी स्कूलों के बंद होने का एक कारण स्टेटस सिंबल भी है। मगर अब निजी स्कूलों के बंद होना बड़ी चिंता का कारण है।
सरकारी स्कूलों में बच्चों की गिरती संख्या चिंताजनक
मुख्य शिक्षा अधिकारी नैनीताल केके गुप्ता ने बताया कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की गिरती संख्या चिंताजनक है। जिसका मुख्य कारण सरकारी स्कूलों में प्री प्राइमरी एजुकेशन सिस्टम नहीं होना है। इसके अलावा अभिभावकों का रूझान निजी स्कूलों की ओर अधिक है जिससे छात्र संख्या गिर रही है। इसको बनाए रखने के लिए स्कूलों को एकीकृत किया जा रहा है। जिससे छात्रों को अधिक सुविधा युक्त शिक्षा प्राप्त हो सके।