रक्षाबंधन पर इस बार भोजपत्र से बनी राखी से सजेगी भाइयों की कलाईयां

0

भोजपत्र का बडा ही पौराणिक एवं धार्मिक महत्व है। भोजपत्र का उपयोग पारंपरिक रूप से धर्म ग्रंथों और पवित्र ग्रंथों को लिखने के लिए कागज के तौर पर किया जाता रहा है। भाई बहनों के पवित्र त्योहार रक्षाबंधन पर इस बार भाईयों की कलाई दुर्लभ भोजपत्र से बनी खास राखियों से सजेगी। जनपद चमोली में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत गठित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने इस बार हिमालय के दुर्लभ भोज वृक्ष की छाल से बने भोजपत्र से आकर्षक राखियां तैयार की है। समूह की महिलाओं के द्वारा 24 अगस्त से सभी ब्लाकों में स्टॉल लगाकर भोजपत्र से निर्मित इन खास राखियों का विपणन किया जाएगा।

 

भोजपत्र के पौराणिक एवं धार्मिक महत्व को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा पूर्व में एनआरएलएम समूह की महिलाओं को दुर्लभ भोजपत्र पर कैलीग्राफी का प्रशिक्षण दिया गया था। प्रशिक्षण लेकर महिलाओं ने भोजपत्र पर बद्रीनाथ की आरती, बद्री विशाल के श्लोक, भोजपत्र की माला और कई तरह के चित्र एवं लिखित सोविनियर तैयार किए गए और इन कलाकृतियों को हिलान्स आउटलेट्स और विभिन्न चैनलों के माध्यम से विपणन कर महिलाएं अच्छी आजीविका अर्जित कर रही है। इसी कड़ी में जिला प्रशासन द्वारा समूह की महिलाओं को रक्षाबंधन पर खास राखी तैयार करने के लिए प्रेरित किया गया। महिलाओं ने दुलर्भ भोजपत्र और वैजयंती माला से बेहद आकर्षक और ईको फ्रेंडली राखियां तैयार की गई है। महिला समूहों के स्टॉलों पर भोजपत्र से निर्मित ये खास राखियां उपलब्ध है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed